कपूरथला।देशभर में कोरोना का प्रकोप जारी है।दिनों-दिन इसका खतरा बढ़ता जा रहा है।इस अलर्ट के चलते आमजन की अर्थव्यवस्था डगमगा गई है।गुजरात सरकार ने आमजन को राहत देते हुए सभी प्रकार के बिजली के बिल माफ कर दिए। ऐसे में पंजाब सरकार बिजली कंपनियों की तिजोरी भरने में लगी हुई है।सरकार ने सिर्फ बिजली बिल स्थगित किए है।ऐसे में घरों में कैद आमजन बिजली के बिल कैसे भरे।वैश्विक महामारी कोरोना के चलते देशभर में लॉक डाउन चल रहा है। श्रमिकों के रोजगार छिन गए हैं और आने वाले दिनों में लोगों को आर्थिक मंदी से गुजरना पड़ेगा।ऐसे में कपूरथला सहित प्रदेशभर में मांग उठने लगी है कि आने वाले तीन महीनों के बिजली के बिल माफ किए जाएं।यह मांग बजरंग दल नेताओं ने उठाई है।बजरंग दल पंजाब प्रदेश के पूर्व प्रमुख नरेश पंडित,बजरंग दल पंजाब प्रदेश के नेता संजीव बजाज,ज़िला प्रभारी चंदरमोहन भोला एवं ज़िला प्रेस सचिव चंदन शर्मा ने शनिवार को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह से कोरोना वायरस के कारण लोगों को होने वाले वित्तीय नुकसान के मद्देनजर लोगों के बिजली,पानी सहित अन्य सभी सरकारी बिल माफ करने की मांग की है।उन्होंने कहा की मध्यवर्ग के व्यापक हित हेतु 3 माह का बिल पूर्णत: माफ किया जाए।कोरोना वायरस के कारण लगी कर्फ्यू से प्रत्येक कारोबार आर्थिक तबाही की ओर बढ़ रहा है।इसको रोकने के लिए आरबीआइ को लोगों द्वारा लिए गए बैंकों के लोन ब्याज की तीन महीनों की किस्तों को माफ करना चाहिए।डेढ़ वर्ष की किस्तों को टर्म लोन में जोड़ दिया जाए।कहा कि लॉकडाउन के कारण पूरा भारत बिल्कुल बंद कर दिया गया है।इससे कारखाने,देश में अन्नदाता कहे जाने वाला किसान और प्रतेक छोटा बड़ा दुकानदार आर्थिक रूप में बहुत ज्यादा नुकसान झेल रहा है।इकोनामी दर रेट जमीन तक गिर चुकी है।प्रत्येक कारोबार की आर्थिक दशा बहुत चिताजनक हो चुकी है।कारोबार करने के लिए कई लोगों ने बैंकों से लोन ले रखे हैं,जो इस हालात में लोन की किस्त बैंकों में जमा नहीं करवा सकेंगे।इसी तरह जो लोग सरकारी, प्राइवेट नौकरी कर रहे हैं उन लोगों ने भी किसी ना किसी कारणों से बैंकों से लोन ले रखा है।उनमें से कई ऐसे विभाग हैं,जिनको अभी समय पर वेतन नहीं मिल रहा।इसलिए वे लोग भी मासिक लोन किस्त बैंकों में जमा करवाने के लिए असमर्थ हैं। इस लिए सरकार को तुरंत करवाई करते हुए आदेश जारी करना चाहिए।
बिजली बिल माफ हो,स्थगित नहीं- नरेश पंडित